मीरा बाई का नाम किसने नहीं सुना होगा हर कोई उन्हें जानता है लेकिन सब इतना की वो श्रीकृष्ण की भक्त थी और वो उन्हीं में लीन हो गई, श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति ऐसी थी जो आज भी याद की जाती है भक्त कैसा हो और भक्ति कैसी होनी चाहिए इसका उदाहरण मीराबाई ने ही दिया है मीराबाई के साथ बचपन में एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद वो मृत्युकाल तक भगवान श्रीकृष्ण को ही अपना सबकुछ मान लिया था और उनका स्मरण करते हुए ही उनमें समा गई। मीरा बाई श्रीकृष्ण की भक्त तो थी ही लेकिन भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ने और श्रीकृष्ण में ही समा जाने की अवधि में मीरा के साथ कई रोचक घटनाएं हुई जिसके बारे में सभी को जानना चहिए तभी आप श्रीकृष्ण के प्रति मीरा बाई की भक्ति को जान और समझ जाएंगे तो आज हम अपने इस लेख द्वारा मीरा बाई से जुड़े कुछ अहम और रोचक जानकारी आपको प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
 
जानिए मीरा बाई के बारे में-
मीरा बाई मात्र एक नाम नहीं बल्कि भक्ति का उदारण मानी जाती है मीरा बाई जोधपुर के राठौड़ रतनसिंह जी की इकलौती पुत्री थी राजपूताना जाति में जन्मी मीराबाई का घर से बाहर जाने पर कठोर प्रतिबंध था लेकिन बचपन में मीरा के साथ ऐसी घटना हो गई जिसके बाद वह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गई। ऐसा कहा जाता है कि जब मीरा आठ साल की थी तब मोहल्ले में एक बारात को आता देख मीराबाई ने अपनी माता से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है उनकी मां ने मीराबाई की बाल जिज्ञासा को शांत करने के लिए कह दिया कि तेरे पति श्रीकृष्ण है इस घटना के बाद से ही मीराबाई ने श्रीकृष्ण भगवान को ही अपना सब कुछ मान लिया और उनकी भक्ति में लीन हो गई मीरा ने किशोरावस्था में श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया था और इसलिए वो कृष्ण भक्ति में लीन होकर हमेशा गाया करती थी। मीराबाई का विवाह महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से कराया गया था लेकिन मीरा शादी के बाद भी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने लगी थी जिससे उनके ससुराल वाले क्रोधित होने गले थे जब मीरा के पति की मृत्यु एक युद्ध के दौरान हो गई तो ससुराल वालों ने मीरा को सती होने के लिए कहा, तो मीरा बोली की मेरे पति तो श्रीकृष्ण है और वे पति की मौत के बाद भी कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगी। जिससे ससुराल वालों ने मीरा पर व्यभिचारिणी होने का आरोप लगाकर भरी सभा में मीरा को विष का प्याला देकर पीने को कहा। मीरा ने भी कृष्ण का नाम लेते हुए विष का प्याला पी लिया। वही सबको लग रहा था कि मीरा जीवित नहीं बचेगीं मगर विष का प्याला मीरा के लिए अमृत बन गया और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से मीरा पर विष का जरा भी प्रभाव नहीं पड़ा। आज भी लोग श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति को याद करते हैं।