सहकारी खाद दुकानों से रासायनिक खाद की खरीदी करने पर किसानों को कुल आवश्यकता के 20 फीसद वर्मी कंपोस्ट खाद की खरीदी करना आवश्यक होगा। राज्य शासन ने यह नियम लागू कर दिया है। आगामी खरीफ फसल के लिए जिला प्रशासन को राज्य से 48 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर खपत की जाएगी। प्राकृतिक खाद उपयोगिता से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी साथ ही 232 गोठानों खाद बनाने में जुड़ी महिला समूह की आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।खरीफ फसल के लिए रासायनिक खाद का भंडारण जिले मे शुरू हो चुका है। जिल के कुल 98000 हेक्टेयर रकबा में धान की खेती होती है। जिसमें प्रति वर्ष 1.20 लाख क्विंटल रासायनिक खाद की खपत होती हैं। यह खपत केवल धान ही नहीं बल्कि सब्जी की खेती में भी होती है। जिले में 1.24 लाख किसान खेती से जुड़े हैं। इनमे 40 हजार किसान ही ऋण लेकर खेती करते है। नियम के अनुसार किसानों को प्राप्त ऋण में 40 फीसद खाद और 60 फीसद नकद प्रदान किया जाता है। वर्मी खाद को अनिवार्य करने के पीछे शासन की मंशा रासायनिक खाद की उपयोगिता को कम करना है। बीते वर्ष जिले में महिलाओं ने 44 हजार क्विंटल गोबर खाद तैयार किया था। बाजार में रासायनिक खाद की मांग अधिक होने से गोबर खाद की बिक्री में समस्या आ रही थी। नया नियम लागू किए जाने महिलाएं दोगुने उत्साह से खाद तैयार कर रहीं है। जिला कृषि अधिकारी की माने तो जिले में 90 ऐसे गोठान हैं जहां की महिलाएं खाद बिक्री के माध्यम से आत्म निर्भरता के करीब हैं।