भोपाल । मालवा निमाड़ का देवास ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जिसका परिसीमन बार-बार बदलता रहा है। यह सीट 1951-52 और 1957 में शाजापुर-राजगढ़ के नाम से जानी जाती थी। 1962 में यह क्षेत्र आरक्षित हो गया और देवास के नाम से हो गया था। 1967 में यह शाजापुर नाम से हो गया था। 1967 और 1977 में यह सीट सामान्य श्रेणी की थी। 1980 में यह फिर आरक्षित हो गई और अभी तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2009 में परिसीमन के अनुसार यह क्षेत्र देवास नाम से पुन: दर्ज हो गया।
देवास संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित हैं। सीहोर जिले से एक, शाजापुर से तीन, देवास से तीन और आगर-मालवा जिले से एक सीट इसमें शामिल है। 2023 के विधानसभा चुनाव में देवास लोकसभा क्षेत्र की देवास सीट को छोड़ बाकी सातों सीटों पर 75 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। आठों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इस तरह चार जिलों की सीटों को समेटे देवास लोकसभा क्षेत्र का प्राचीन और पौराणिक महत्व है। मां चामुंडा की नगरी और देवास के पवार शासकों की नगरी रही ही देवास। वर्तमान में देवास नोट प्रेस और उद्योग नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध है। आरक्षित सीट होने से 1951-52 और 1957 में देवास से दो दो उम्मीदवार विजयी रहे थे। ये दोनों उम्मीदवार कांग्रेस के विजयी रहे थे। कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता लीलधर जोशी लगातार दो बार विजयी रहे थे।

जनसंघ का भी रहा गढ़


1962 में यह क्षेत्र देवास नाम से हो गया और आरक्षित सीट होने से यहां से हुकमचंद जनसंघ से विजयी रहे। 1967 में यह सामान्य सीट हो गई थी। यहां से जनसंघ के बाबूराव ने कांग्रेस के लीलाधर जोशी को पराजित किया था। 1971 में जनसंघ के प्रसिद्ध नेता जगन्नाथ राव जोशी विजयी रहे थे। 1977 से वर्तमान तक यह सीट आरक्षित है। 1977 और 1980 में यहां से भालोद और जनता पार्टी से फूलचंद वर्मा विजयी रहे थे। 1984 में कांग्रेस के बापूलाल मालवीय ने फूलचंद वर्मा को पराजित कर दिया था। 1989 और 1991 में फूलचंद वर्मा भाजपा से लगातार विजयी रहे थे। 

थावरचंद गहलोत लगातार चार बार विजयी हुए


1996 से 2004 तक भाजपा के थावरचंद गहलोत चार बार लगातार विजयी हुए और कांग्रेस के उम्मीदवार पराजित हुए थे। क्षेत्र से पहली महिला उम्मीदवार 1996 में कांग्रेस से शकुंतला चौहान उम्मीदवार रही थीं। 2009 में कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने भाजपा के थावरचंद गहलोत को पराजित कर भाजपा के जीत के सिलसिले को तोड़ दिया था। इसके बाद 2014 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा को पराजित किया था। 2019 में न्यायिक सेवाओं को छोड़ भाजपा से खड़े हुए महेंद्र सिंह सोलंकी विजयी रहे थे उन्होंने कबीर गायक प्रहलाद सिंह टिपानिया को पराजित किया था।

इस बार आठ प्रत्याशी मैदान में

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए देवास संसदीय क्षेत्र से आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा से महेंद्र सिंह सोलंकी, कांग्रेस से राजेंद्र राधाकिशन मालवीय और छह अन्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। चुनाव में मिलते जुलते नाम के उम्मीदवार भी हैं। 

पुत्रों ने आजमाया भाग्य

 2004 के चुनाव में कांग्रेस के नेता बापूलाल मालवीय के पुत्र श्याम मालवीय कांग्रेस से उम्मीदवार थे, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2024 के चुनाव में कांग्रेस से राधाकिशन मालवीय के बेटे राजेंद्र कांग्रेस से चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।