Nargis flower story: सदियों पुरानी बात है। यूनान के किसी गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ। बच्चा बहुत सुंदर था, जो देखता बच्चे की सूरत पर मोहित हो जाता। मां-बाप ने उसका नाम नारिशस रखा था। लोग उसे प्यार से नर्गिस कहते। नर्गिस जंगलों में घूमता, नदियों के किनारे जाता, पंछियों से बातें करता, पर उसे यह नहीं पता था कि वह बहुत सुंदर है। उसने कभी अपना चेहरा देखा नहीं था। तब दर्पण नहीं होते थे और लोग अपना चेहरा नदी या झील के जल में देखते थे।
एक दिन स्वर्ग की एक अप्सरा इको जंगल में घूमने आई तो उसकी नजर नर्गिस पर पड़ गई। वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गई, नर्गिस से प्रेम कर बैठी। उसने नर्गिस के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। नर्गिस तो अपनी ही धुन में खोया रहता था, उसने इको का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया।

अपना प्रेम निवेदन ठुकराए जाने से इको बहुत निराश हुई और बैठ कर रोने लगी। तभी वहां वनदेवी नेमसिस निकली। इको को रोते देख वनदेवी ने कारण पूछा तो इको ने सब कुछ सच-सच बता दिया। वनदेवी युवक नर्गिस के पास गई और उसे अपनी अप्रतिम सुंदरता वाली सूरत झील के जल में देखने को कहा।

नर्गिस झील के पास गया और पहली बार उसने झील के जल में अपना चेहरा देखा और इतना आत्ममुग्ध हुआ कि लगातार अपना चेहरा ही देखता रहा और फिर न जाने कैसे वह झील के पानी में गिर गया।

कहते हैं झील में जहां नारिशस डूबा था, उसी के पास झील के किनारे एक पौधा उग आया। इस पौधे के शीर्ष पर जो फूल खिला वह झील में सिर झुका अपना चेहरा देख रहा था। लोगों ने उस सुंदर पौधे और फूल का नाम नर्गिस रखा।

यह यूनान का पौधा है। 10वीं शताब्दी में यह नीदरलैंड्स और यूरोप पहुंचा। 16वीं शताब्दी में पूरी दुनिया में यह खूबसूरत फूल लोकप्रिय हो गया। यह वेल्स का राष्ट्रीय फूल है और कैंसर के उपचार में भी लाभदायक है।