बिलासपुर। हाईकोर्ट ने मोबाइल लोकेशन और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को पुख्ता प्रमाण मानते हुए आजीवन कारावास की सजा को कायम रखा है।सत्र न्यायालय ने उक्त साक्ष्य के आधार पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने दोषी की अपील खारिज कर दी।
प्रकरण की विवेचना के दौरान पुलिस ने अंधे कत्ल की गुत्थी को सुलझाने के लिए बारीकी से विवेचना की। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एकत्र किए। उसके बाद आरोपी को हिरासत में लेकर गवाहों की उस्थिति में आरोपी की निशानदेही पर सहायक साक्ष्य जुटाए। हाईकोर्ट में की गई अपील में आरोपी ने मुख्य बिंदु उठाया कि कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर सजा सुनाई गई है। किन्तु आरोपी यह साबित करने में विफल रहा कि घटना के समय वह घटनास्थल पर नहीं था। कोर्ट ने विवेचक द्वारा प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को पुख्ता सबूत मानते हुए सत्र न्यायालय के निर्णय को यथावत रखते हुए आरोपी की अपील को खारिज कर दिया।


यह है मामला
रायपुर जिले की धरसींवा पुलिस को 6 अक्टूबर 2017 की सुबह फोन से सूचना मिली कि एक व्यक्ति की लाश बंद स्टील फैक्ट्री के बाउंड्रीवाल के पास है। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को विवेचना में लिया। शव के पास ही 10 किलो वजनी पत्थर प?ा था, जिसमे खून लगा था। पास ही कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल, डिस्पोजल गिलास, खून से सनी मिट्टी और अन्य सामान जब्त किया। शव को पीएम के लिए मेकाहारा भेजा गया। मृतक की पहचान ग्राम टाडा निवासी चमन लाल साहू के रूप में की गई। मृतक का मोबाइल बंद होने पर पुलिस ने सबसे पहले उसका कॉल डिटेल निकाला। इसमें घटना के समय मृतक के गांव के वेकेश कुमार साहू के संपर्क में रहने की पुष्टि हुई। वेकेश का मोबाइल लोकेशन भी घटना के आसपास था। पुलिस अधिकारी ने पुख्ता इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद आरोपी को हिरासत में लिया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि मृतक द्वारा उसकी प्रेमिका से संबंध स्थापित करने की बात कहने पर एक नाबालिग आरोपी के साथ मिलकर शराब पीने के बाद उसकी हत्या की थी। हत्या के बाद आरोपी ने उसका बटुवा निकाल लिया और उसमें रखे 3000 रुपये बांट लिए। मोबाइल का सिम दाँत से चबा कर तो?ने के बाद झा?ी में फेकने और मृतक की मोटरसाइकिल धनेली मार्ग में छो?ना बताया। 


आरोपी के बताए स्थान से ही सामान जब्त
पुलिस ने दोनों आरोपियों के बताए स्थान से गवाहों के समक्ष सामान जब्त किया।जब्ती पत्रक तैयार कर आरोपी की गिरफ्तारी कर न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय ने आरोपी को धारा 302 में आजीवन और धारा 201 में 3 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत कर कहा कि मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। परिस्थितिजन्य साक्ष्य में सजा दी गई जो कि अवैधानिक है। इस आधार पर सत्र न्यायालय के आदेश को निरस्त करने की मांग की। 


मृतक का सामान, दोषी को छीनाझपटी में लगी चोट भी बने आधार
शासन की ओर से सभी प्रमाण और तथ्यों के आधार पर सजा को उचित ठहराया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डीबी ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य में मृतक का कॉल डिटेल है। इसमें आरोपी के साथ संपर्क होने की पुष्टि की गई है। आरोपी का मोबाइल लोकेशन भी घटनास्थल के पास पाया गया। अपीलकर्ता के बताए स्थान से ही विवेचना अधिकारी ने मृतक की मोटरसाइकिल, दांत से चबा कर तो?ा गया सिम, मृतक का काले रंग का बटुवा जिसमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व नियोक्ता द्वारा जारी आईडी जब्त किया गया। इसके अलावा अपीलकर्ता की पीठ और कोहनी में चोट पाई गई जो कि मौके में मृतक के साथ छीनाझपटी में लगी थी। इस पर डीबी ने सत्र न्यायालय के आदेश की पुष्टि कर सजा को उचित ठहराया।