भोपाल । इस बार का लोकसभा चुनाव न सिर्फ देश की राजनीतिक दशा बल्कि संगठन की नई रूपरेखा भी तय करेगा। संगठनात्मक तौर पर कई बदलाव होंगे। नई जिम्मेदारी देने के साथ जिम्मेदारियां छीनी भी जा सकती हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में इस संबंध में भी कवायद शुरू हो चुकी हैं। भाजपा के साथ कांग्रेस भी इलेक्शन मॉनिटरिंग कर रही है। पदाधिकारियों को सौंपे गए कामों पर किए गए अमल का बारीकी से खाका तैयार किया जा रहा है।
चुनाव के परिणाम के बाद विचार मंथन फिर दोनों ही सियासी दलों में बड़ी सियासी उठापटक तय मानी जा रही है। भाजपा का फोकस लोकसभा प्रभारियों पर है। अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही भाजपा बूथ मत प्रतिशत बढ़ोतरी के टारगेट पर चल रही है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि मोहन कैबिनेट में भी चुनावी परिणामों के आधार पर विस्तार के साथ बदलाव भी होंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी कार्यकाल पूरा हो चुका है। बीते विधानसभा चुनाव में शर्मा के कार्यकाल में उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर परिणाम भाजपा को हाथ लगे। उधर, एक बाद एक झटके सह रही कांग्रेस भी प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव करेगी। जीतू पटवारी के बतौर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रिकॉर्ड लोगों ने कांग्रेस का दामन छोड़ा। लोकसभा चुनाव के परफार्मेंस के आधार पर जिम्मेदारी के मामले पर कांग्रेस ने कहा कि निश्चित तौर संगठनात्मक मजबूती के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। यह संगठनों को मजबूती देने का काम करेगा।
उन कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की भी परीक्षा है जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है। समीक्षा के बाद ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। दावा यह भी कि भाजपा के धन, बल से कांग्रेस का कार्यकर्ता विपरीत परिस्थिति में चुनाव लड़ रहा है। भाजपा ने कहा कि चुनाव के परिणाम और अथक मेहनत का फल संगठन देता है। इस बार भी बड़े हों या छोटे कार्यकर्ताओं को उनके कामों के हिसाब से दायित्वों का निर्धारण किया जाएगा।