भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव का रास्ता साफ हो गया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों पर लगी रोक हटा दी है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान देश की सर्वोच्च अदालत ने गुवाहाटी हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कुश्ती संघ के चुनाव पर रोक लगाने वाले गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश को हटा दिया। याचिका पर नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और एस वेंकटनारायण भट्टी की पीठ ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत डब्ल्यूएफआई के चुनाव पर रोक लगाने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली आंध्र प्रदेश एमेच्योर कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने चुनाव पर लगी रोक खत्म कर दी। इससे कुश्ती संघ के चुनाव और नए अध्यक्ष के चयन का रास्ता साफ हो गया है। नए अध्यक्ष के चयन के बाद पहलवानों का विवाद भी सुलझ सकता है। देश के शीर्ष पहलवान इस साल जनवरी के महीने से कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का विरोध कर रहे हैं। बृजभूषण पर कई पहलवानों के यौन शोषण के आरोप भी हैं। इस मामले में जांच खत्म नहीं हुई है। हालांकि, उन पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली नाबालिग पहलवान ने अपनी शिकायत वापस ले ली है।

क्या है मामला?

भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव इसी साल होने थे, लेकिन कई विवादों की वजह से इनमें देरी होती रही। देश के शीर्ष पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण सहित कई गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद उन्हें संघ के कामकाज से अलग कर दिया गया और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति को संघ का कामकाज देखने और चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई। तदर्थ समिति ने चुनाव की तारीख छह जुलाई तय की, लेकिन बाद में इसे पांच दिन आगे बढ़ा दिया गया। अंत में चुनाव की तारीख 11 जुलाई तय की गई। इस बीच गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम कुश्ती संघ की मांग पर सुनवाई करते हुए चुनाव में रोक लगा दी। असम कुश्ती संघ ने WFI, भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की तदर्थ समिति और खेल मंत्रालय के खिलाफ दायर याचिका में कहा था कि वे डब्ल्यूएफआई से सदस्य के रूप में मान्यता के हकदार हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के गोंडा में 15 नवंबर 2014 को डब्ल्यूएफआई की आम परिषद को तत्कालीन कार्यकारी समिति की सिफारिश के बावजूद ऐसा नहीं किया गया।

11 जुलाई तक क्यों टाले गए थे चुनाव?

इससे पहले पांच असंबद्ध राज्य निकायों ने चुनावों के लिए मतदान के अधिकार की मांग करते हुए सुनवाई में अपना मामला पेश किया था। इस कारण तदर्थ समिति को यह फैसला करना पड़ा था। बुधवार को तीन सदस्यीय समिति से महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में असंबद्ध राज्य निकायों द्वारा संपर्क किया गया था। इस समिति में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमएम कुमार शामिल हैं। समिति ने इन इकाइयों को सुनवाई के लिए बुलाया था। एक सूत्र के अनुसार, "राज्य इकाइयों ने अपना मामला पेश किया, जबकि भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रतिनिधियों ने इन निकायों की संबद्धता रद्द करने के अपने फैसले का बचाव किया। पैनल को निर्णय लेने और आदेश तैयार करने के लिए समय चाहिए, इसलिए चुनाव 11 जुलाई तक के लिए टाल दिए गए थे।"

दो अलग-अलग विवाद बने परेशानी

देश के शीर्ष पहलवान बृजभूषण सिंह को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं और नए अध्यक्ष के चयन की मांग कर रहे हैं। बृजभूषण का कार्यकाल खत्म हो चुका है और पहलवानों की मांग के अनुसार तदर्थ समिति चुनाव कराने के लिए त्तपर है, लेकिन पांच असंबद्ध राज्य निकाय इसमें परेशानी बन रहे हैं। असम सहित अन्य राज्यों के कुश्ती संघ चुनाव में अपनी बराबर की भागीदारी चाहते हैं। इसी वजह से मामला लगातार कोर्ट में है और चुनाव में देरी हो रही है।