भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के बाद कांग्रेस ने भी अपनी पहली सूची रविवार को नवरात्र के पहले दिन जारी कर दी। इसमें भोपाल जिले की सात में से तीन सीटों मध्य, नरेला और बैरसिया सीट पर प्रत्याशी घोषित किए है। मध्य सीट पर वर्तमान विधायक आरिफ मसूद, नरेला में मनोज शुक्ला और आरक्षित बैरसिया सीट पर पूर्व प्रत्याशी जयश्री हरीकिशन को प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं, भाजपा ने दक्षिण-पश्चिम सीट छोडक़र बाकी छह पर प्रत्याशी उतार दिए है।
कांग्रेस ने मध्य सीट से विधायक आरिफ मसूद को प्रत्याशी बनाया है। 51 साल के मसूद ने एमकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की। वह एजुकेशन इंस्टीट्यूट के संचालक है। मसूद ने पिछली बार यहां से भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र नाथ सिंह को 14 हजार 757 वोट से चुनाव हराया। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। दरअसल इस सीट पर बहुसंख्यक वोट ज्यादा होने के बावजूद आरिफ मसूद ने नए भोपाल में अपनी सक्रियता और काम से मजबूत पकड़ बनाई है। हिंदुओं के त्योहार के आयोजन, कोरोना काल में लोगों की मदद करने मसूद आगे आए है। हालांकि नगरीय निकाय चुनाव में टिकट बांटने को लेकर उनके प्रति नाराजगी है। वहीं, ध्रुव नारायण सिंह को भाजपा ने 10 साल बाद टिकट दिया है। सिंह ने 2008 से 2013 के बीच क्षेत्र में बहुत काम किए। ध्रुव नारायण सिंह का शेहला कांड में नाम आने के बाद उनका पार्टी ने टिकट काट दिया था। हालांकि बाद में उनका केस से बरी कर दिया गया।  
भोपाल की नरेला विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने मनोज शुक्ला को टिकट दिया है। 49 साल के  मनोज शुक्ला ने स्नातक की पढ़ाई की। वह होटल कारोबारी है। शुक्ला नरेला में में लंबे समय से सक्रिय है। इस सीट पर पिछले तीन बार से भाजपा का कब्जा है। यहां से चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग विधायक हैं। 2018 में विश्वास सारंग ने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह चौहान को करीब 23 हजार वोटों से हराया था। 2023 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने यहां से सारंग को ही प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर सामाजिक समीकरण की बात करें तो ब्राह्मण, मुस्लिम और कायस्थ वोटर्स अच्छी संख्या में है। वहीं, अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में है।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बैरसिया सीट पर कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी जयश्री हरीकिरण को उतारा है। 40 वर्षीय जयश्री  ने एमए और एलएलबी की पढ़ाई की है। वह पिछला चुनाव हारने के बाद से ही क्षेत्र में काफी सक्रिय है। भाजपा ने यहां से विधायक विष्णु खत्री को टिकट दिया है। यह भोपाल की एकमात्र आरक्षित सीट है। 2018 में विष्णु खत्री ने इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जयश्री को करीब 14 हजार वोटों से हराया था। बैरसिया सीट के गठन के बाद से यहां पर 14 बार चुनाव हुए, जिसमें से कांग्रेस को सिर्फ दो बार ही जीत मिली है। इस सीट पर दलित और आदिवासी वोटरों की संख्या करीब 50 हजार के आसपास है। इसके बाद सबसे बड़ी संख्या 35 हजार गुर्जरों की है। वर्तमान विधायक खत्री के खिलाफ क्षेत्र में नाराजगी का भाजपा को नुकसान हो सकता है। वहीं, नेताओं की गुटबाजी कांग्रेस को पीछे कर सकती है।
भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट कांग्रेस ने होल्ड कर दी है। इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस से आरिफ अकील विधायक हैं। 2018 में अकील ने भाजपा प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीकी को 34 हजार वोटों से हराया था। 6 बार के विधायक अकील ने बीमारी के चलते बड़ा एलान कर अपना उत्तराधिकारी अपने मंझले बेटे आतिफ को बनाया है। वहीं, इस सीट पर भाजपा ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर अधिकतर कांग्रेस नेताओं ने प्रत्याशी के लिए आरिफ अकील का नाम ही आगे बढ़ाया है। यहां से अकील के भाई आमिर ने भी खुद को दावेदार बता दिया है। इस सीट पर गुटबाजी के चलते पार्टी ने सीट होल्ड कर दी है। यहां से आरिफ अकील के नाम ही पार्टी चुनाव लड़ सकती है।  दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस ने प्रत्याशी का एलान नहीं किया। यहां से कांग्रेस के पीसी शर्मा विधायक है। 2018 में पीसी शर्मा ने भाजपा के दिग्गज नेता उमाशंकर गुप्ता को करीब छह हजार वोटों के अंतर से हराया था। यहां से कांग्रेस पीसी शर्मा को ही प्रत्याशी बना सकती है। हालांकि, कांग्रेस से ही इंजीनियर संजीव सक्सेना भी टिकट की मांग कर रहे हैं। उनके भी क्षेत्र में 20 से 25 हजार वोट हैं। अब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व संजीव सक्सेना को मनाने के प्रयास कर रहा है। एक अलावा भी एक दो दावेदार है। यही वजह है कि कांग्रेस ने सीट को होल्ड कर दिया है। यहां से पीसी शर्मा का ही चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है। वहीं, भाजपा ने भी इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है। यहां पर भाजपा की तरफ से उमाशंकर गुप्ता, राहुल कोठारी और भगवान दास सबनाणी का नाम चल रहा है।  गोविंदपुरा सीट पर भी कांग्रेस ने प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है। इस सीट पर दिग्विजय सिंह गुट के रविंद्र साहू झूमरवाला ने प्रचार प्रसार भी छह माह पहले से शुरू कर दिया है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी दीप्ति सिंह को टिकट दिलाने के लिए प्रयास कर रहे है। यहीं वजह है कि इस सीट पर भी कांग्रेस ने प्रत्याशी का नाम रोक दिया है। यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से 2018 में कृष्णा गौर ने कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश शर्मा को 46 हजार वोटों से हराया था। 2023 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने यहां से मौजूदा विधायक कृष्णा गौर को प्रत्याशी बनाया है।  हुजूर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस ने किसी प्रत्याशी को नहीं उतारा है। इस सीट पर पूर्व विधयक जितेंद्र डागा और पिछली बार के प्रत्याशी नरेश ज्ञानचंदानी का नाम चल रहा है। दोनों ही लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय है। इस सीट पर कॉस्ट मैनेजमेंट को लेकर मामला फंस गया है। इसी वजह से सीट होल्ड कर दी गई। भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से रामेश्वर शर्मा विधायक हैं। यह भोपाल का सबसे बड़ा  विधानसभा क्षेत्र है। 2018 के विधानसभा चुनाव में रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस के नरेश ज्ञानचंदानी को करीब 14 हजार वोटों से हराया था। भाजपा ने यहां से रामेश्वर शर्मा को ही अपना प्रत्याशी बनाया है।