आफलाइन अनुमति के लिए लगना होगा लाइन में 


उज्जैन ।  धार्मिक नगरी उज्जैन में सावन के महीने में भगवान महाकाल के भस्म आरती दर्शन की आनलाइन बुकिंग पूरी हो चुकी है। आफलाइन अनुमति के लिए भक्तों केा लाइन में लगना होगा। उधर प्रोटोकाल के तहत जारी होने वाली अनुमति की प्रक्रिया को भी सख्त कर दिया गया है। मंदिर प्रशासन कड़ी पड़ताल के बाद ही अनुमति जारी करेगा। इसके लिए समिति विभिन्न विभाग, पुजारी, पुरोहित, जनप्रतिनिधि आदि को जारी किए गए कोटे की समीक्षा भी करेगी। भगवान महाकाल की भस्म आरती देखने के लिए देश-विदेश के लाखों भक्त आतुर हैं। बड़ी संख्या में भक्तों ने मंदिर की वेबसाइट पर आनलाइन बुकिंग करा ली है। स्थान फुल होने के बाद अब श्रद्धालुओं को प्रतिदिन मंदिर के काउंटर से दी जाने वाली करीब 300 आफलाइन अनुमति के लिए लाइन में लगना होगा। इसके अलावा मंदिर समिति, प्रोटोकाल के तहत प्रतिदिन एक हजार अनुमति जारी करेगी। मंदिर प्रशासन ने प्रोटोकाल अनुमति के लिए विभिन्न विभागों, पुजारियों, पुरोहितों, विभिन्न राजनीतिक दलों व जन प्रतिनिधियों को कोटे जारी कर रखे हैं। इसके लिए निर्धारित राशि से अधिक शुल्क लिए जाने पर कोटे के तहत नाम भेजने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी तय करने पर विचार किया जा रहा है।मंदिर प्रशासन के अनुसार प्रतिदिन करीब 1700 लोगों को अनुमति जारी की जाती है। इनमें से आनलाइन के जरिए 400, निशुल्क आफलाइन से 300 और पुजारी, पुरोहित व प्रोटोकाल के जरिए 1000 लोगों को अनुमति मिलती है। भस्म आरती दर्शन के लिए आनलाइन, प्रोटोकाल तथा पुजारी, पुरोहित के माध्यम से अनुमति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को 200 रुपये शुल्क चुकाना अनिवार्य है। वैसे, समिति प्रतिदिन तीन सौ भक्तों को प्रशासनिक कार्यालय के समीप स्थित काउंटर से निश्शुल्क अनुमति भी प्रदान करती है। मंदिर प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने कहा कि अगर आप प्रोटोकाल अथवा पुजारी, पुरोहित के कोटे से भस्म आरती दर्शन की अनुमति करा रहे हैं तो 200 रुपये से अधिक शुल्क न दें। अगर कोई व्यक्ति अधिक की मांग करता है तो मंदिर कार्यालय में शिकायत करें। अगर कोई व्यक्ति स्वयं अधिक शुल्क देकर अनुमति लेने की कुचेष्टा करता है अथवा किसी प्रकार का प्रलोभन देने का प्रयास करते पाया जाता है तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में श्रावण मास के दौरान प्रत्येक रविवार रात 2.30 बजे तथा सप्ताह के शेष दिनों में रात तीन बजे मंदिर के पट खुलेंगे, इसके पश्चात भस्म आरती होगी।