FPIs ने की तगड़ी बिकवाली: भारतीय शेयर बाजार से 10.6 अरब डॉलर निकाले, फिर भी निफ्टी ने भरी उछाल

2025 में इंडियन स्टॉक मार्केट ने ऐसा कमाल दिखाया कि बड़े-बड़े विदेशी निवेशक (FPI) भी हैरान रह गए. डेटा के मुताबिक, इस साल अब तक फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स ने इंडियन शेयर मार्केट से 10.6 अरब डॉलर (लगभग 88,000 करोड़ रुपये) निकाल लिए. ये रकम एशिया में सबसे ज्यादा है. इसके बावजूद, निफ्टी 50 और सेंसेक्स ने 5% से ज्यादा की उछाल मारी. इतना ही नहीं, मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 2% से ज्यादा चढ़े. अब सवाल ये है कि आखिर इंडियन मार्केट इतना रॉकेट क्यों बन रहा है, जब विदेशी निवेशक पैसे निकाल रहे हैं? चलिए, विस्तार से समझते हैं.
देसी निवेशकों ने संभाला मोर्चा
फॉरेन इनवेस्टर्स पैसे निकाल रहे हैं तो शेयर बाजार ऊपर कैसे जा रहा है? जवाब है- देसी निवेशक, यानी डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (DII). इनमें सबसे बड़ा रोल म्यूचुअल फंड्स का है, जो रिटेल इनवेस्टर्स यानी आम आदमी के पैसों से शेयर मार्केट में धुआंधार खरीदारी कर रहे हैं. 2025 में अब तक DII ने 36.1 अरब डॉलर (लगभग 3 लाख करोड़ रुपये) इंडियन शेयरों में झोंक दिए.
जून की बात करें तो FPI ने शुरुआती दिनों में 0.59 अरब डॉलर के शेयर बेचे. लेकिन DII ने ऐसा गेम खेला कि सबके होश उड़ गए. उन्होंने 5.32 अरब डॉलर (लगभग 44,000 करोड़ रुपये) के शेयर खरीदे, जो FPI की बिकवाली से 11 गुना ज्यादा है. यानी विदेशी बेच रहे हैं, लेकिन देसी निवेशक उससे कहीं ज्यादा खरीद रहे हैं. इसीलिए मार्केट गिरने की बजाय चढ़ रहा है.
पिछले 10 साल की बात करें तो DII ने 195 अरब डॉलर (लगभग 16 लाख करोड़ रुपये) मार्केट में डाले, जबकि FPI का इन्वेस्टमेंट सिर्फ 53 अरब डॉलर रहा. यानी देसी निवेशकों ने विदेशियों को 3.7 गुना पीछे छोड़ दिया. इतना ही नहीं, 2025 की चौथी तिमाही में पहली बार DII की हिस्सेदारी निफ्टी-500 कंपनियों में FPI से ज्यादा हो गई. यानी अब मार्केट पर देसी निवेशकों का दबदबा है!
म्यूचुअल फंड्स का AUM, 70 लाख करोड़ के पार
अब ये पैसे आ कहां से रहे हैं? जवाब है- आम भारतीय निवेशक. लोग अब बैंक FD और गोल्ड से ज्यादा शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं. म्यूचुअल फंड्स के जरिए हर महीने SIP से हजारों करोड़ रुपये मार्केट में आ रहे हैं. मई 2025 में म्यूचुअल फंड्स का AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) पहली बार 70 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
लोगों का भरोसा इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर बढ़ रहा है. भारत की इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है, और लोग इस रैली का हिस्सा बनना चाहते हैं. इसीलिए रिटेल इनवेस्टर्स म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयर मार्केट में पैसा डाल रहे हैं, और DII उस पैसे को मार्केट में इन्वेस्ट कर रहा है. नतीजा? FPI की बिकवाली का मार्केट पर खास असर नहीं पड़ रहा.
FPI क्यों बेच रहे हैं?
अब सवाल है कि आखिर विदेशी निवेशक पैसा क्यों निकाल रहे हैं? इसके पीछे कई ग्लोबल वजहें हैं.
1. इजरायल-ईरान टेंशन और कच्चे तेल की कीमतें
मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें अचानक चढ़ गईं. भारत जैसे तेल आयात करने वाले देश के लिए ये बुरी खबर है. कच्चा तेल महंगा होने से कंपनियों की लागत बढ़ती है, और मुनाफा घटता है. FPI को लगता है कि ये टेंशन और बढ़ सकता है, जिससे भारत की इकॉनमी पर असर पड़ेगा. इसीलिए वो सावधानी बरतते हुए पैसा निकाल रहे हैं..
2. US फेडरल रिजर्व का रेट कट पर सस्पेंस
अमेरिका का फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर फै सला लेने वाला है.. मार्कट का कहना है कि इस बार भी ब्याज दरों में कोई कमी नहीं होगी.. ऊंची ब्याज दरें डालर को मजबूत करती हैं, जिससे FPI के लिए भारत में निवेश करना कम आकर्षक हो जाता है. वो पैसा अमेरिका या दूसररे देशों में चला जाता है..
3. चीन के स्टॉक्स सस्ते, भारत महंगा
चीन की इकॉनमी में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं.. वहां के शेयर मार्कट्स भारत की तुलना में सस्ते दामों पर मिल रहे हैं.. भारत के स्टॉक्स अभी हाई वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं, यानी उनके दाम उनकी कमाई के हिसाब से ज्यादा हैं.. इसीलिए कुछ FPI अपना पैसा भारत से निकालकर चीन जैसे देशों में डाल रहे हैं..
4. ग्लोबल ट्रेड वॉर का डर
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड टेंशन भी बढ़ रहा है.. अगर ये टेंशन और गहराया, तो ग्लोबल इकॉनमी पर असर पड़ सकता है. ऐसे में FPI रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं. वो सेफ ऑप्शन्स की तलाश में हैं, और भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स से पैसा निकाल रहे हैं..
क्या FPI की बिकवाली जारी रहेगी?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि FPI की बिकवाली का सिलसिला कब तक चलेगा, ये कहना मुश्किल है. ग्लोबल टेंशन, कच्चे तेल की कीमतें, और US फेडरल रिजर्व के फैसले पर बहुत कुछ निर्भर करता है.. अगर मिडल ईस्स्ट में हालात बिगड़ते हैं, तो FPI और ज्यादा पैसा निकाल सकते हैं. दूसरी तरफ, अगर ग्लोबल मार्केट्स में स्टेबल होते हैं और भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत रहती है, तो FPI की वापसी भी हो सकती है..
भारत का स्टॉक मार्केट की बदल रही तस्वीर
भारत का स्टॉक मार्केट अब विदेशी निवेशकों पर उतना निर्भर नहीं है, जितना पहले हुआ करता था. देसी निवेशकों का भरोसा, म्यूचुअल फंड्स की ताकत, और भारत की इकॉनमी की रफ्तार- ये वो तीन पिलर हैं, जो मार्केट को संभाले हुए हैं.
- रिटेल इनवेस्टर्स का क्रेज: लोग अब शेयर मार्केट को वेल्थ क्रिएशन का जरिया मान रहे हैं. SIP और म्यूचुअल फंड्स के जरिए हर महीने हजारों करोड़ रुपये मार्कट में आ रहे हैं..
- DII का दबदबा: DII ने FPI की बिकवाली को न सिर्फ न्यूट्रलाइज़ किया, बल्कि मार्केट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.. उनकी खरीदारी ने मार्केट में लिक्विडिटी बनाए रखी..
- इंडिया ग्रोथ स्टोरी: भारत की इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है.. ग्लोबल स्लोडाउन के बावजूद, भारत की GDP ग्रोथ रेट बाकी उमर्जिंग मार्केट्स से बेहतर है.. इसीलिए निवेशकों का भरोसा बना हुआ है.
रिटेल इनवेस्टर्स का जोश है हाई
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक ग्लोबल टेंशन कम नहीं होता, FPI की बिकवाली का सिल्सिला रुक-रुक कर चल सकता है.. लेकिन इंडियन मार्केट की ताकत अब उसके देसी निवेशकों में है. अगर DII और रिटेल इनवेस्टर्स का यही जोश बना रहा, तो मार्केट को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. हालांकि दूसरी तरफ, भारत की हाई वैल्यूएशन एक चिंता जरूर है. अगर कंपनियों की कमाई (Earnings) उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी, तो मार्केट में थोड़ा करेक्शन आ सकता है लेकिन लॉन्ग टर्म में भारत की ग्रोथ स्टोरी और डोमेस्टिक इनवेस्टमेंट की ताकत मार्केट को सपोर्ट जरूर देगी.