खड़गे ने पीएम को लिखा पत्र, जातिगत जनगणना पर सरकार को दिए 3 सुझाव

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जाति जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने जाति जनगणना को प्रभावी और पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए सरकार को तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों से तत्काल बातचीत करने की मांग की है। खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना जरूरी है और इसे विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए कहा कि यह कदम सामाजिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
खड़गे के पीएम को दिए तीन सुझाव:
प्रश्नावली का डिजाइन और तेलंगाना मॉडल का उपयोग: खड़गे ने सुझाव दिया कि जनगणना प्रश्नावली केवल गिनती तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें व्यापक सामाजिक-आर्थिक आंकड़े एकत्र करने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए हाल ही में तेलंगाना में किए गए जाति सर्वेक्षण को मॉडल के तौर पर अपनाया जा सकता है। पारदर्शिता और आंकड़ों का प्रकाशन: जनगणना के अंत में सभी जातियों के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि प्रत्येक जाति की प्रगति को मापा जा सके और उन्हें संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।
आरक्षण की सीमा हटाने के लिए संविधान संशोधन: खड़गे ने मांग की कि ओबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने के लिए संविधान संशोधन किया जाए। साथ ही राज्यों द्वारा पारित आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
कैबिनेट बैठक का फैसला:
केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल, 2025 को कैबिनेट बैठक में आगामी जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने का फैसला किया था। इस घोषणा के बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहे हैं, क्योंकि वे लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। खड़गे ने अपने पत्र में यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि सरकार इस प्रक्रिया को जल्द शुरू करे और इसके लिए बजट का प्रावधान करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम सामाजिक न्याय की नींव को मजबूत करेगा।
विपक्ष और सरकार के बीच श्रेय की लड़ाई:
जाति जनगणना के फैसले के बाद विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। भाजपा का दावा है कि यह फैसला सामाजिक समावेश और विकास के लिए लिया गया है, जबकि कांग्रेस इसे राहुल गांधी और विपक्ष के दबाव का नतीजा बता रही है। खड़गे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर सभी पक्षों के साथ तत्काल चर्चा करें ताकि एक व्यापक और पारदर्शी नीति बनाई जा सके।