भारत में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति भविष्य में कम गंभीर होगी: आरबीआई
नई दिल्ली । आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के एक सदस्य ने कहा कि भारत में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति की समस्या भविष्य में कम गंभीर होगी, क्योंकि विविध स्रोतों के साथ आधुनिक आपूर्ति श्रृंखलाएं विशिष्ट खाद्य पदार्थों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी से निपटने में मदद कर सकती हैं। भारत में घरेलू बजट में भोजन की हिस्सेदारी अधिक होने की बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि नीति के कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि स्थिर कृषि कीमतें मुद्रास्फीति से परे वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत विकसित होगा, इस उच्च खाद्य मुद्रास्फीति की गंभीरता कई कारणों से कम होती जाएगी। विविध स्रोतों वाली आधुनिक आपूर्ति शृंखलाएं विशिष्ट वस्तुओं के दाम बढ़ने पर उनसे निपटने में मदद करेंगी। किसी ने भी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में टमाटर या प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में नहीं सुना है। उन्होंने कहा कि हमारे पास स्वाभाविक रूप से विविध भौगोलिक क्षेत्र हैं, विभिन्न क्षेत्रों से बेहतर एकीकृत बाजार जलवायु परिवर्तन से प्रेरित खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को कम करने में मदद कर सकते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होना रहा। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति मार्च में 8.52 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 8.66 प्रतिशत थी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि मुद्रास्फीति 2024-25 में घटकर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी। यह 2023-24 में 5.4 प्रतिशत और 2022-23 में 6.7 प्रतिशत थी।