संस्कार विद्यालय विद्यालय हुआ विवेकानन्द मय
संस्कार विद्यालय विद्यालय हुआ विवेकानन्द मय
दैनिक द लाॅयन सिटी - दीपमाला पागारानी संस्कार पब्लिक स्कूल में आज मानवता का संदेष देने वाले युगपुरूष स्वामी विवेकानन्दजी की जयंती बड़े हषोर्ल्लास के साथ मनाई गयी। इस अवसर पर विद्यालय के 300 विद्याथीर् स्वामी विवेकानन्द के स्वरूप में उपस्थित हुए। कायर्क्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हुजूर विधायक श्री रामेष्वर शमार्ए कायर्क्रम की अध्यक्षता कर रहें एमण्आईण्सीण् सदस्य श्री राजेष हिगोंरानीए संस्था के अध्यक्ष सुषील वासवानीए सचिव श्री बसंत चेलानीए उपाध्यक्ष श्री सुरेष राजपालए कोषाध्यक्ष श्री चन्दर नागदेवए लेखा परीक्षक श्री पुरूषोत्तम टिलवानीए सदस्य श्री नारायणदास लालवानीए श्री गुलाब सेजवानीए रिटाण् कनर्ल श्री नारायण पारवानीए षिक्षाविद् श्री विष्णु गेहानीए श्री राम बंसल द्वारा माँ सरस्वतीए स्वामी विवेकानन्द एवं संत षिरोमणी हिरदाराम साहिब जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीपप्रज्जवलन कर किया गया। सवर्प्रथम संस्था के सचिव श्री बसंत चेलानी ने आये हुए अतिथियों का परिचय देते हुए एवं सभी बच्चों को विवेकानन्द जयंती की बधाई देते हुए ष्ष्स्वामी विवेकानन्द जी अमर रहेष्ष् के नारे लगवाये एवं कहा कि संस्कार विद्यालय में समय.समय पर महापुरूषों की जंयती इसलीए मनाते है ताकि उनके जीवन से हमें प्रेरणा मिले। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन आज का जो युवा जाग रहा है उससे हमारा भारत का भविष्य जरूर उज्जवल होगा। कायर्क्रम में उपस्थित हुजूर विधायक श्री रामेष्वर शमार् सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज हम यहां पर स्वामी विवेकानन्द जंयती मनाने के लिए एकत्रित हुए है स्वामी विवेकानन्द जी इतने महान व्यक्ति थे कि उन्हें 161 साल बाद भी याद किया जा रहा है तो उनका व्यक्तित्व कितना अच्छा रहा होगा। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी के बारे में बताते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी विषेषता यह थी कि वे इतने एकाग्राचित थे कि जिस विषय को लोग बड़ी कठिनाई से याद करते थे उन्हें वह मिनटों में याद करके अपने मस्तिष्क में सहेज कर रखते थे। वे षिकागों में एक सम्मेलन में गए जहां उन्होंने देखा कि सभी धमोर् की पुस्तके रखी थी लेकिन वहां हमारे धमर् की पुस्तक गीता सबसे नीचे रखी थी तो सभी धमर् के लोग कह रहे थे कि देखो हमारे धमर् की पुस्तक ऊपर रखी है तो वहां स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया कि ध्यान से देखों हमारे धमर् की पुस्तक सभी धमर् का बोझ उठाकर रखा है हमारा धमर् ही सभी धमोर् की नीव है। यह कहकर उन्होंने अपने धमर् की पुस्तर नीचे से हटा दी तो बाकी सभी पुस्तके नीचे गिर गई। संस्था के अध्यक्ष श्री सुषील वासवानी ने भारत माता की जय के नारों के साथ सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द का नाम भी नरेन्द्र था एक नरेन्द्र ने 161 साल पहले देष का नाम रोषन किया और एक नरेन्द्र मोदी आज 161 साल बाद देष को विष्व गुरू बनाने की ओर अग्रसर है और हमार देष फिर से विष्व गुरू बनेगा। कायर्क्रम की अध्यक्षता कर रहें एमण्आईण्सीण् सदस्य श्री राजेष हिंगोरानी ने सभी को स्वामी विवेकानन्द जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज स्वामी विवेकानन्द जी जंयती मना रहे और सामने आपके स्कूल में कई महापुरूषों की मूतिर्यां भी लगी हुई है जो उनके व्यक्तित्व के कारण है हमें भी कुछ ऐसा करके जाना चाहिए जिससे हमें भी लोग कई वषोर् तक याद करें। कायर्क्रम में उपस्थित षिक्षाविद् श्री विष्णु गेहानी ने कहा कि आज सारा संस्कार विद्यालय विवेकानन्द मय हो गया है और इस तरह के आयोजनों से संस्कृति और सभ्यता का प्रचार प्रसार होता रहता है इसलिए इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए। कायर्क्रम में उपस्थित रिटाण् कनर्ल श्री नारायण पारवानी ने स्वामी विवेकानन्द के बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने भारत के युवा को भारतीय संस्कृति और राष्ट्र के विकास में योगदान के लिए पे्ररित किया हमारे कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने स्वामी विवेकानन्द जी से प्रेरित होकर ष्ष्जवानीष्ष् नामक कविता की रचना की इस कविता को अगर मनुष्य अपने जीवन में उतार ले तो उसका जीवन साथर्क बन सकता है। श्री राम बंसल ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कार विद्यालय में प्रतिवषर् यह प्रोग्राम मनाया जाता है ऐसे कायर्क्रमों के माध्यम से भारत के युवाओं को नई जानकारी प्राप्त होती है। आज हमारे भारत में आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है इस तरह के आयोजनो से बच्चों के अन्दर उत्साह और चेतना का विकास होता है स्वामी विवेकानन्द जी ने सवा सौ साल पहले एक वाक्य बोला था ष्ष्उठो जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न होष्ष् इस वाक्य को हम अपने जीवन में उतार कर अपने जीवन को साथर्क बना सकते है। इस अवसर पर श्री दौलतराम कोटवानीए श्री कमल पे्रमचन्दानी विद्यालय के प्राचायर् श्री आरण्केण् मिश्राए उपप्रचायार् श्रीमती मीनल नरयानीए समस्त षिक्षकगण एवं विद्याथिर्गण उपस्थित थे। कायर्क्रम का संचालन विद्यालय की षिक्षिका श्रीमती प्रिया थानवानी एवं सुश्री षिवानी शमार् ने किया। कायर्क्रम के अंत में संस्था के कोषाध्यक्ष श्री चन्दर नागदेव ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए सभी बच्चों को धन्यवाद देते हुए एवं उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सभी बच्चें स्वामी विवेकानन्द स्वरूप में आए एवं उनके विचारों को अपनाकर अपने विद्यालय का मन बढ़ाया।