टेम्पल ऑफ संबोधि में शरद पूर्णिमा का भव्य आयोजन

भक्तों ने भजन-कीर्तन और महाआरती के साथ मनाईशरद पूर्णिमा।

दैनिक द लाॅयन सिटी - संत हिरदाराम नगर - टेम्पल ऑफ संबोधि में शरद पूर्णिमा का पर्व अत्यंत हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। इस पावन पर्व पर वेदांत संत लाल साईं जी महाराज ने उपस्थित भक्तों को श्रीकृष्ण के दिव्य संदेश पर विस्तार से प्रवचन दिया, जिससे भक्तगण अध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठे।

 

कार्यक्रम की शुरुआत मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ हुई। संत लाल साईं जी ने अपने प्रवचन में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं का वर्णन करते हुए उनके संदेशों पर प्रकाश डाला। उन्होंने गीता के उपदेशों का महत्व बताते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के माध्यम से जीवन को सही मार्ग पर ले जाने की प्रेरणा दी है। संत जी ने कहा कि श्रीकृष्ण का यह संदेश, "कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो", जीवन के हर क्षेत्र में अपनाया जा सकता है और यह हमें सच्ची सफलता और शांति की ओर ले जाता है।

 

वेदांत संत लाल साईं जी ने विशेष रूप से शरद पूर्णिमा के दिन को भी श्रीकृष्ण से जोड़ते हुए कहा कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था, जो प्रेम, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात्रि आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि चंद्रमा की किरणों से स्वास्थ्यवर्धक और शीतल ऊर्जा प्राप्त होती है, जिसे अमृततुल्य माना गया है।

 

रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया गया और विशेष रूप से तैयार की गई खीर को चंद्रमा की किरणों में रखकर प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। भक्तों ने रातभर जागरण किया और भजन-कीर्तन में भाग लेकर अध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। मंदिर परिसर को सुंदर रोशनी और फूलों से सजाया गया था, जिससे वातावरण और भी पवित्र और दिव्य लग रहा था।

 

इस कार्यक्रम का समापन महाआरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। श्रद्धालु भक्तों ने वेदांत संत लाल साईं जी के प्रवचनों से प्राप्त ज्ञान को आत्मसात करने का संकल्प लिया और शरद पूर्णिमा की इस पावन रात का लाभ उठाया।