संत श्री आशारामजी बापू की शीघ्र रिहाई के लिए हजारों लोग निकले सड़कों पर।

निकली साधक संकल्प यात्रा।
दैनिक द लाॅयन सिटी - भोपाल - पूरे देश में 86 वर्षीय निर्दोष संत श्री आशारामजी बापू की रिहाई हेतु मांग उठ रही है। रैली,मौन यात्रा,धरना आदि करके व जन प्रतिनिधियों,विधायकों,सांसदों, कलेक्टर आदि के माध्यम से माननीय महामहिम राष्ट्रपति,राजयपाल,प्रधान मंत्री,मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर बापूजी की रिहाई की मांग की जा रही है। इस मांग को अनेक संतो महन्तो,गणमान्य प्रबुद्ध नागरिकों,सामाजिक संगठनों,राजनेताओं,न्यायविदों का समर्थन मिल रहा है।देश भर में अपार जनसमूह द्वारा की जा रही इन न्याय यात्राओं की श्रृंखला में अहमदाबाद मे श्री योग वेदांत सेवा समिति व महिला उत्थान मंडल,भोपाल द्वारा 10 मार्च,रविवार दोपहर 12:00 बजे से भोपाल प्लेटिनम प्लाज़ा,माता मंदिर,न्यू मार्केट क्षेत्र में श्री आशारामजी बापू की रिहाई की मांग करते हुए विशाल संस्कृति रक्षा यात्रा निकाली गयी।यात्रा का शुभारंभ प्लेटिनम प्लाजा,माता मंदिर से होकर रोशनपुरा चौराहा होते हुए जवाहर चौराहा पूर्णाहुति हुई।इस में भाग लेने वाले हज़ारों की संख्या में मौजूद लोगों का एक ही नारा है
बापूजी निर्दोष हैं बापूजी को शीघ्र रिहा करो।
लगभग 11 वर्षों से एक झूठे ओर बनावटी केस में राजस्थान के जोधपुर कारागार में रखे गये 86 वर्षीय आशारामजी बापू के स्वास्थ्य की स्थिति अत्यंत नाजुक है।जेल आने से पूर्व 74 की उम्र में अति व्यस्त जीवनशेली के बावजूद बापूजी को सिर्फ ट्राइजेमिनल न्यूरालजिआ व पीठ दर्द की तकलीफ थी लेकिन 11.5 वर्ष से अधिक समय से लगातार कस्टडी के तनाव युक्त वातावरण से अब 86 उम्र की इस् व्योवृद्ध अवस्था में उनको हृदयरोग,पौरुष्ग्रंथि की वृद्धि(prostate इनलार्जमेंट) सन्धिवात (arthritis) एवं रक्तालपता(anaemia) आदि नई बीमारियों ने भी घेर लिया है। तनावमुक्त वातावरण में इच्छानुसार चिकित्सा आदि के अभाव से इन प्राणघातक बीमारियों की निवृत्ती न् होने से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। आशारामजी बापू 13 जनवरी से 6 फ़रवरी 2024 तक जोधपुर के एम्स अस्पताल में कार्डियक आई.सी.यू में भर्ती रहें हैं।AIIMS की रिपोर्ट के अनुसार उनके हृदय में 3 गंभीर(99%,90% और 85%) ब्लॉकेज है। बापूजी को लगातार रक्तस्त्राव हो रहा है,जिसकी वजह से उनके हिमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।उनकी गंभीर शारीरिक स्तिथि को देखते हुए हाल ही में परौल की अर्ज़ी लगाई गयी थी जिसे उनके रोग की भयानकता को अनदेखा करके रद्द कर दिया गया।
आशारामजी बापू ने अपना सारा जीवन सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में,राष्ट्रउत्थान के लिए लगा दिया,उनके अनेक विध लोक हितकारी सेवा कार्यो के द्वारा किसी मत,पंथ,संप्रदाय के भेदभाव के बिना करोड़ो लोग लाभान्वित हुए है,फिर भी आज उनके स्वास्थ्य की इतनी गंभीर स्थिति में उन्हें अनुकूल,उत्तम और त्वरित इलाज के लिए किसी प्रकार की राहत नही मिली है। बापूजी के केसो के तथ्यों ओर सबूतों को देखते हुए तो अनेक कानूनविदों का कहना है कि उन्हें निर्दोष छोड़ा जाना चाहिए।जबकी उन्हे स्वास्थ्य सुधार के लिए भी कोई राहत नही मिल पा रही है।
2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "केदी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए।व्यक्ति का सेहत ठीक रहे यह सबसे ज़रूरी है।उसकी सेहत से सम्बन्धित समस्याओं का राज्य सरकार ध्यान रखे,न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता ओर संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए"।
यह हर नागरिक का ऐसा संवेदनशील मौलिक अधिकार है जिसकी रक्षा होनी ही चाहिए।लेकिन आशारामजी बापू के मौलिक अधिकार का खुले आम उल्लंघन किया जा रहा है।
घोटाले,हत्या,बंबलास्ट जैसे जघन्य कैसो के आरोपियों,दोषियों को भी जब राहत दी जाती है तो निर्दोष संत आशारामजी बापू उनकी इच्छा के अनुरूप उचित इलाज कराने से क्यों वंचित रखा जा रहा है? यह उनके मानव अधिकारों व संवेधानिक अधिकारों का हनन है ।जिससे उनके देश विदेश के करोड़ो साधक शिष्य अत्यंत व्यथित है।
यात्रा में मुख्य रूप से मदनजी वसुनिया प्रांत अध्यक्ष मालवा प्रांत(मध्य प्रदेश),विकास जाट पूर्व संग प्रचारक(राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ),विक्रम डूड़ी, सह राज्य प्रभारी(युवा भारत पश्चिम क्षेत्र),शिवराम गोपाल कन्नौज जिला पंचायत सदस्य,मनावर(जिला,धार) ,मुकेश भाकर खंड सह कार्यवह,नालछा जिलाधार,पंकज जी भाटी (प्रमुख सेवावीर)समाजिक कल्याण समिति) तथा भोपाल से ओमप्रकाश कृपलानी जी,रविंद्र पटेल जी,जयकिशन लालचंदानी जी,राजू गजवानी जी,मोहनलाल गुप्ता जी भी उपस्थित थे।
श्री योग वेदांत सेवा समिति एवं सभी साधक परिवार,नारी संगठन एवं कई हिन्दु संगठनों के द्वारा यह मांग की गई कि देश,धर्म,संस्कृति,समाज के सर्वांगिड़ उत्थान में पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का बड़ा योगदान है अतः सरकार द्वारा पूज्य बापूजी को उनकी इच्छा अनुसार स्थान पर यथा अनुकूल चिकित्सा पद्धति द्वारा उपचार हेतु शीघ्र अति शीघ्र राहत दी जानी चाहिए व उनके मानव अधिकारों की रक्षा करते हुए व 86 वर्षीय उम्र और वृद्धा अवस्था को देखते हुए उनकी शीघ्र अति शीघ्र ससम्मान रिहाई हेतु योग्य स्तर पर उचित कार्यवाही की जाए ।
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