भोपाल । प्रदेश में कर्मचारियों के साथ ही अधिकारियों की कमी के कारण सरकारी कार्यो की गति धीमी होती जा रही है। सबसे अधिक काम राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी से प्रभावित हो रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी के चलते राजस्व न्यायालय में होने वाली सुनवाई के मामले महीनों से पेंडिंग हैं। नामांतरण, बंटवारा, माइनिंग लीज आवंटन सहित अन्य मामले भी लाखों की संख्या में लंबित हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश के जिलों में राप्रसे के अधिकारियों की कमी के कारण कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। दरअसल जिलों में 50 फीसदी ही डिप्टी कलेक्टर कार्यरत हैं। तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर के 353 पद खाली पड़े हुए हैं। मप्र में आईएएस के बाद दूसरी श्रेणी के कारण अफसरों में डिप्टी कलेक्टरों की गिनती होती है, लेकिन इस संवर्ग की भी स्थिति बहुत खराब हैं।

राप्रसे  के 353 पद खाली
प्रदेश राप्रसे (डिप्टी कलेक्टर) संवर्ग में 873 पद स्वीकृत हैं। इनमें 436 पद सीधी भर्ती से और 437 पद प्रमोशन पदों पर प्रमोशन नहीं मिलने के कारण से भरे जाते हैं, लेकिन संवर्ग में इस समय 520 ही अधिकारी कार्यरत हैं। यानी 353 पद खाली पड़े हैं। इससे जिलों में काम प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि संवर्ग के 16 अधिकारी आईएएस बन चुके हैं और 6 रिटायर हो गए, जबकि एक अधिकारी निलंबित हैं। खासकर राजस्व अधिकारियों को प्रमोशन नहीं मिलने डिप्टी कलेक्टर के पद छह साल से खाली हैं। प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पेंडिंग होने की वजह से नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार नहीं बन सके और तहसीलदार तथा जिला सहायक भू अभिलेख अधिकारी डिप्टी कलेक्टर बनने के इंतजार में हैं।

ऐसी होती है पदस्थापना
प्रदेश में राप्रसे के अधिकारियों में से जिलों में 451 की पोस्टिंग होती है। वहीं मंत्रालय विभागों में 222, प्रतिनियुक्ति के पद 55, अवकाश के लिए 31, प्रशिक्षण में स्वीकृत 14 पद होते हैं। वर्तमान में जिलों में 250 पद खाली हैं। इससे जिलों में  एसडीएम न्यायालय में सुनवाई, नामांतरण, बंटवारा, माइनिंग आदि मामले, धारा-107, 116 और जिला बदर, निजी और सरकारी संस्थाओं को जमीन आवंटन के काम प्रभावित हो रहे हैं। मप्र राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष जीपी माली का कहना है कि सरकार ने जिस तरह टीआई को डीएसपी का कार्यवाहक प्रभार दिया है, उसी तर्ज पर तहसीलदारों को भी डिप्टी कलेक्टरों का प्रभार दिया जाए।  फील्ड में बहुत कम डिप्टी कलेक्टर हैं।  वहीं  मप्र कार्यपालिक संघ के अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी का कहना है कि जिलों में डिप्टी कलेक्टरों के पद खाली होने से एसडीएम कोर्ट में सुनवाई के सैकड़ों मामले पेंडिंग हैं। हमने मांग की है कि जब तक प्रमोशन नहीं मिलता, तहसीलदारों को डिप्टी कमिश्नर सहित अन्य प्रभार दिया जाए।