नई दिल्ली । अगर कोई महिला अपने पति या उसके परिवार को बार-बार अपमानजनक शब्द कहती है या पति को प्रताड़ित करती रहती है, तब यह क्रूरता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण बात कही है। जस्टिस संजीव सचदेव और जस्टिस विकास महाजन की खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मर्यादा और प्रतिष्ठा के साथ जिंदगी जीने का अधिकार है। किसी को भी लगातार गाली-गलौच से गुजरने को मजबूर नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने कहा, केस में याचिकाकर्ता की पत्नी के व्यवहार का ठोस सबूत है। उसका व्यवहार इतना खराब है कि कोई भी व्यक्ति मानसिक पीड़ा, दर्द और गुस्से का शिकार हो जाए। याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी के इस कठोर व्यवहार का लगातार सामना करना पड़ रहा है जो बिल्कुल क्रूरत है।असल में पत्नी ने हाई कोर्ट में फैमिली कोर्ट के फैसले का विरोध किया था। फैमिली कोर्ट ने पत्नी से तलाक लेने की पति की गुहार मंजूर कर ली थी। पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 की धारा 13(1)(आई-ए) के तहत फैमिली कोर्ट से तलाक दिलाने की अपील की थी। इस धारा के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक लेने का प्रावधान है। पत्नी ने जब फैमिली कोर्ट के फैसले का हाई कोर्ट में विरोध किया तब वहां भी पत्नी को निराशा हाथ लगी। हाई कोर्ट ने महिला के बयानों पर कहा कि पति के प्रति उसका व्यवहार काफी क्रूरतापूर्ण है।