भोपाल । हर बार मार्च से मई के बीच चार से पांच पश्चिमी विक्षोभ आते थे, लेकिन इस बार मार्च के 22 दिनों में ही पांच पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गए हैं। ग्लोबल वार्मिंग का असर अब मौसम पर साफ दिखने लगा है। 120 साल में दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब पूरे प्रदेश में ओलावृष्टि, वर्षा, आंधी का दौर चला है। इससे पहले 2006 में इस तरह का मौसम हुआ था। इस बार मार्च में प्रदेश में औसत से 215 प्रतिशत अधिक वर्षा हो गई है। प्रदेश में बदलते मौसम व उसके कारणों का मौसम वैज्ञानिक डा़ वेदप्रकाश सिंह ने अध्ययन किया है। मार्च 2023 में 10 दिनों तक प्रदेश में वर्षा, ओलावृष्टि, आंधी का दौर चला है। इस बार के मौसम को बदलने के लिए दो प्रमुख घटनाएं हुईं, जिसमें पूर्वी व पश्चिमी ट्रफ लाइन का सक्रिय होना है। 23 मार्च को विश्व मौसम दिवस है। जिससे पृथ्वी के वातावरण की रक्षा में लोगों व उनके व्यवहार की भूमिका के महत्व को उजागर किया जा सके। मौसम दिवस मनाकर लोगों को मौसम के प्रति जागरूक किया जा सके। मध्य प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो मार्च का मौसम ज्यादा प्रभावित हुआ है। इस साल फरवरी में ठंड का सामना नहीं हुआ और मार्च में बिगड़े हुए मौसम का सामना किया। मौसम वैज्ञानिक डा़ वेदप्रकाश सिंह के अनुसार जम्मू-कश्मीर में आने वाले पश्चिमी विक्षोभों का असर राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमालय, बिहार में देखने को मिलता है। बिहार में इनका असर ज्यादा देखने को मिलता था। दो ट्रफ लाइनों के सक्रिय होने से मध्य भारत के ऊपर अरब सागर व बंगाल की खाड़ी की नमी इकट्ठा हुई। जिसने ओलावृष्टि की। एक पश्चिमी विक्षोभ के गुजर जाने के बाद दूसरे के आने में समय लगता था, लेकिन इस बार एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुए। उसके बाद बंगाल की खाड़ी व अरब सागर भी सक्रिय हो गए, जिससे नमी आई। तीन व पांच मार्च से पश्चिमी विक्षोभों का आना शुरू हो गया था, जो अभी तक जारी हैं। 23 मार्च को नया पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है। इस बारे में मौसम केंद्र भोपाल के रडार प्रभारी डा़ वेदप्रकाश सिंह का कहना है कि जनवरी व फरवरी में प्रशांत महासागर में ला लिना की स्थिति कमजोर हुई थी। एल नीनो की स्थितियां सक्रिय हुईं। इस कारण फरवरी में तापमान काफी बढ़ा। मार्च आते-आते वायुमंडल की अस्थिरता अपने चरम पर पहुंच गई, जिससे आंधी व वर्षा का दौर चला। यह बदलते मौसम का प्रभाव है।