एथलीट देवेन्द्र झाझड़िया पद्म भूषण सम्मान के लिए चुने जाने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी हैं। पद्म भूषण पुरस्कार के ऐलान के बाद जयपुर में देवेंद्र के घर जश्न का माहौल है। देवेन्द्र ने पैरालिंपिक खेलों में भारत के लिए 3 पदक (दो गोल्ड और एक रजत ) जीते हैं। 40 साल के देवेंद्र पैरालिंपिक खेलों में देश के सबसे सफल खिलाड़ी हैं। देवेन्द्र झाझड़िया की पत्नी मंजू बोली- मुझे उम्मीद है कि पद्मश्री और पदम भूषण के बाद अब देवेंद्र को जल्दी ही भारत रत्न भी मिलेगा। पत्नी मंजू ने बताया कि लंबे समय से देवेंद्र लगातार देश के लिए मेडल जीतकर ला रहे हैं। मेडल के लिए उनकी भूख अब भी बरकरार है। उन्होंने बताया कि देवेंद्र अब भी देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतकर लाना चाहते हैं। पद्म भूषण सम्मान के लिए देवेंद्र झाझड़िया के नाम का ऐलान होने के साथ ही परिजन एक- दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मना रहे हैं।


देवेंद्र के भाई अरविंद ने बताया कि परिवार 25 जनवरी का इंतजार कर रहा था, क्योंकि आज ही के दिन पद्म पुरस्कारों का ऐलान होता है। ऐसे में जैसे ही अवॉर्ड का ऐलान हुआ जश्न का माहौल शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि अवॉर्ड मिलने के बाद भी देवेंद्र एशियन गेम की तैयारी में जुटे हुए हैं। वह देश के लिए अभी और मेडल जीतकर लाना चाहते हैं।चूरू के रहने वाले देवेंद्र झाझड़िया की पत्नी मंजू खुद भी कबड्डी प्लेयर रही हैं। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। वे कहती हैं कि कभी भी मेरे मन में ऐसा विचार नहीं आया कि उनका एक हाथ नहीं है। उन्होंने जो उपलब्धि हासिल की है, वह हजारों हाथों के बराबर है। 2007 में जब मुझे पता चला कि उनके साथ मेरी शादी हो रही है तो मैं खुश हो गई थी।

देवेंद्र झाझड़िया जब 8 साल के थे, तब वह गांव में पेड़ पर चढ़ रहे थे। तभी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से देवेंद्र बुरी तरह घायल हो गए। उनका बायां हाथ कोहनी से काटना पड़ा था। देवेंद्र ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया, लेकिन मां जीवनी देवी ने उन्हें मोटिवेट किया। देवेंद्र ने धीरे-धीरे पढ़ाई के साथ जैवलिन थ्रो खेलना शुरू किया और 2004 और 2016 पैरा ओलिंपिक में गोल्ड व 2020 में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं।