भारतीय संविधान की प्रस्तावना की ये लाइनें हमें हमारे विशाल लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत के नागरिक होने का गर्व और जिम्मेदारी भरा अहसास, दोनों करवाती हैं। रायपुर के एक वन्य संरक्षण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी कैसे बेजुबान वन्य जीवों और पर्यावरण के लिए भारतीय संविधान के दायरे में रहकर एक मजबूत लड़ाई लड़ रहे हैं, और अपने प्रयासों से बड़े बदलाव ला रहे हैं। साल 2012 को याद करते हुए नितिन सिंघवी ने बताया कि मैं पिछले 10 सालों से पर्यावरण और वन्य जीवन के लिए जनहित याचिकाएं लगा रहा हूं। संवैधानिक संघर्ष में मुझे याद है कि साल 2012 में छत्तीसगढ़ में एक प्रोजेक्ट चर्चा में आया। तब प्रदेश में 150 करोड़ की लागत से चिल्फी और रेंगाखार के बीच सड़क बननी थी। ये सड़क भोरमदेव अभयारण्य से होकर गुजरती। इसमें पेड़ों और जंगली जानवरों पर असर पड़ता।

हमने जनहित याचिका लगाकर इस प्रोजेक्ट को रोकने की मांग की। इसकी सुनवाई साल 2017 तक चली। हम इस पर लगे रहे। तब बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी इस प्रोजेक्ट को अनुमति देती है तो सड़क बनाई जा सकती है। इसके बाद नेशनल टाइगर कंर्जेवेशन ने भी इस प्रोजेक्ट में खामियां पाईं।अथॉरिटी ने कुछ ऐसे सुझाव दिए जिससे सड़क बनाई जा सकती थी और जानवरों और कुदरत को नुकसान नहीं होता। मगर अथॉरिटी के मुताबिक काम करने पर 150 करोड़ का प्रोजेक्ट 950 करोड़ का हो जाता। अथॉरिटी ने 17 फ्लाई ओवर बनाने को कहा, ताकि नीचे जंगली जानवर सुरक्षित रह सकें। प्रोजेक्ट की कीमत कई गुना बढ़ने की वजह से इस काम को रोकना पड़ा और वो सड़क नहीं बनाई जा सकी। 

नितिन रायपुर के कारोबारी रहे हैं, फिलहाल रिटायरमेंट के वक्त में जंगल और उनमें रहने वाले लोगों और जानवरों के संरक्षण का काम कर रहे हैं। पिछले 15 सालों से वन्य क्षेत्रों के अधिकारों के लिए खत लिखना उनकी आवाज उठाने का काम कर रहे हैं। नितिन ने बताया कि साल 2010-11 में राजनांदगांव में छुरिया में हुई एक घटना ने दुखी कर दिया था। एक बाघिन को हजारों ग्रामीणों ने मिलकर लाठी, डंडे-फरसे से मार डाला था। गांव वाले बाघिन को खतरा समझ रहे थे। इस घटना ने नितिन को दुखी कर दिया। तब से जंगल और जंगली जानवरों के हक के लिए लड़ना शुरू किया। बिना रुके और डरे सरकार और कई प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। नितिन कहते हैं कि कई बार लोग उनके खिलाफ बोलने पर नाराज हो जाते हैं मगर मुझे मेरा काम करना है। नितिन देश के स्वतंत्रता सेनानी दौलत मल जी भंडारी के नाती हैं। दौलत मल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, आजाद भारत की पहली लोकसभा में जयपुर से सांसद बने। नितिन के दादा मंगल चंद सिंघवी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे। आजादी की लड़ाई में इनका परिवार डटा रहा। नितिन मानते हैं कि मुझे इन्हीं से प्रेरणा मिलती है, मैं आजीवन पर्यावरण और वन्य प्राणियों के अधिकारों की संवैधानिक लड़ाई लड़ता रहूंगा।