आचार्य चाणक्य की नीति आज भी मनुष्य को सफल बनाने के लिए प्रेरित करती रहती है. आज बहुत से लोग जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए नीति शास्त्र में बताई गई उनकी बातों का पालन करते हैं और उनके बताए रास्ते पर चलते हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार कई ऐसे कारण होते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति का सुख हो जाता है l

ऐसा सोचने पर : आचार्य चाणक्य के अनुसार कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं .जो उन चीजों के बारे में सोचते हैं जो उनके पास नहीं होती और उन चीजों के बारे में नहीं सोचते कि उनके पास होती हैं. ऐसे में व्यक्ति का सुखचैन जाता है व्यक्ति सुख चैन से जी नहीं पाता ऐसे व्यक्ति हमेशा परेशान रहते हैं. व्यक्ति हमेशा और पाने की लालच करता रहता है और उस और पाने की और पाने की चाहत में उन चीजों के पीछे भागता रहता है और संघर्ष करता रहता है जिससे वह चेन से जीवन जी नहीं पाता l

स्वास्थ्य को अनदेखा करना: किसी ने कहा है कि( जैसा अन्न वैसा मन ) वाकई कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं .जो ऐसे भोजन का सेवन करते हैं, जो उनके मन पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालता है और कुछ अच्छा भोजन भी करते हैं, जिसका जिसका उनके मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. साथ ही मन शांत रहता है ऐसे भोजन के कारण दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसलिए इस तरह का खाना खाएं जो आप के दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डाले l

पति पत्नी हो ऐसी : कुछ पुरुष की पत्नी का स्वभाव उनके प्रति अच्छा नहीं होता.. उन्हें हर समय बुरा भला कहते हैं. इससे न केवल दोनों के संबंध खराब होते हैं ,बल्कि इसका बुरा प्रभाव पुरुष के स्वभाव पर भी पड़ता है. उसका दिमाग शांति से काम नहीं कर पाता है. यह बात कुछ पुरुष ऊपर भी लागू होती है अगर पति बुरे स्वभाव वाला हो तो पत्नी के जीवन से सुख चैन- छिन जाता है और अक्सर बीमार व उदास रहने लगती है l

संतान : माता-पिता के जीवन में संतान का सुख दुनिया में सबसे बड़ा सुख माना जाता है. ऐसे में अगर संतान मूर्ख हो तो सारा जीवन कष्ट में हो जाता है और दुख के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता. अगर संतान गलत कार्यो में पड़ जाए तो माता-पिता के जीवन का सारा सुख चैन- छिन जाता है .ऐसे संतान हमेशा दुख का कारण बनती है और माता-पिता के जीवन में परेशानियां हैं खड़ी करती हैंl